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Celebrations like Lalita Jayanti underscore her importance, where rituals and offerings are created in her honor. These observances undoubtedly are a testomony to her enduring allure along with the profound effect she has on her devotees' lives.
षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥
चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा
दक्षाभिर्वशिनी-मुखाभिरभितो वाग्-देवताभिर्युताम् ।
पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।
She could be the one particular owning Severe beauty and possessing energy of delighting the senses. Fascinating intellectual and psychological admiration in the a few worlds of Akash, Patal and Dharti.
The choice of mantra variety will not be basically a matter of desire but demonstrates the devotee's spiritual plans and the nature in their devotion. It's really a nuanced element of worship that aligns the practitioner's intentions With all the divine energies of Goddess Lalita.
सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव more info रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
कामाक्षीं कामितानां वितरणचतुरां चेतसा भावयामि ॥७॥
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥